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कविता

रोय रोय बोले मैया

सुरजन परोही


रोय रोय बोले मैया
दौड़ चली बिटिया रानी

सूना हो गया अंगना
सूना हो गया पलना
डोलिया में बैठी है
पहन के कंगना
रोक सके न अब कोई, बेटी हो गई सयानी

रोय रोय बोले मैया
दौड़ चली बिटिया रानी

बाबुल के घर दीप जले
रोशन हुई ससुरारी में
जीवन स्वर्ग बनाए
ये शक्ति है नारी में
सदा निर्मल रहती है, जैसे गंगा का पानी

रोय रोय बोले मैया
दौड़ चली बिटिया रानी

जहाँ जहाँ चरण पड़े देवी के
देवता भी शीश झुकाए
मिले आदर मान सदा
मंगल दिन हमेशा आए
कन्यादान किया जिसने, वही है महादानी

रोय रोय बोले मैया
दौड़ चली बिटिया रानी

 


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